ये शुभ योग तीन नवंबर तक रहेगा. धनतेरस पर आज सोने-चांदी के जेवरात, वाहन और बर्तनों की खूब खरीददारी हुई.
29 अक्टूबर को बुध के गोचर से धनतेरस पर लक्ष्मी नारायण योग बनेगा, जिसे बहुत ही शुभ माना जा रहा.
इस साल 31 अक्टूबर को दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा. वहीं बाज़ारों में 29 अक्टूबर को धनतेरस की रोनक होगी. हिन्दू धर्म में इस त्योहार का खास महत्त्व है.
इस साल 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा और दिवाली 31 अक्टूबर को.
मुहूर्त शुरू होने के लिए लोगों को 16 नवंबर को सूर्य के तुला से वृश्चिक राशि में पहुंचने का इंतजार करना होगा.
यह जानना जरूरी है कि दीपावली की खरीदारी करते समय आपको किन बातों का ध्यान देना है.
करवा चौथ को लेकर शहरों और कस्बों के बाजारों में इन दिनों काफी रौनक देखी जा रही है.
अक्षयवट का बड़ा पौराणिक महत्व है. मान्यता के अनुसार संगम स्नान के पश्चात 300 वर्ष पुराने इस वृक्ष के दर्शन करने के बाद ही स्नान का फल मिलता है.
करवा चौथ पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा. महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखेंगी.
हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है. सभी पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है.
सर्दी के मौसम में अवंतिकानाथ सुबह आधा घंटा देरी से भोजन करेंगे. भस्म आरती में भगवान को गर्म जल से स्नान कराया जाएगा.
11अक्टूबर शुक्रवार को महाअष्टमी -महानवमी व्रत, दीक्षाग्रहण, महागौरी देवीदर्शन, त्रिशूलनी पूजा,कन्या पूजन एवं हवन इत्यादि होगा.
माता कालरात्रि को शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी भी कहा जाता है.
ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण देवी मां को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है.
स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि हमारा जीवन एक युद्ध है और हम उसके सेनापति हैं.
नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है. मां का यह रूप बेहद सौम्य और शांत है, जो सुख-समृद्धि प्रदान करता है.
नवरात्रि पर दुर्गा उपासना, पूजा,उपवास और मंत्रों के जाप का विशेष महत्व होता है, साथ हीं दुर्गा सप्तसती का एक अध्याय हीं सही,आरती और देवी क्षमा प्रार्थना हर घर में होना चाहिए.
नवग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए भी मां की विशेष पूजा करने का प्रावधान है.
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि का पहला दिन होता है. नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ-साथ देवी शैलपुत्री की पूजा-अर्चना होगी.
पितृ पक्ष के अंत के साथ ही मां दुर्गा के आगमन का प्रतीक होता है महालया. ऐसी मान्यता है कि महालया मां दुर्गा का धरती पर आगमन का दिन होता है.