मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली ने सोमवार को ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से मद्महेश्वर धाम के लिए प्रस्थान किया.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुरूप इस बार चार धाम यात्रा को हरित यात्रा के रूप में आयोजित करने का लक्ष्य रखा गया है.
सरस्वती नदी के उद्गम स्थल भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम में 12 साल बाद 15 मई से पुष्कर कुंभ मेला आयोजित होने जा रहा है.
वैशाख शुक्लपक्ष की पूर्णिमा पर सोमवार को विश्वप्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ मंदिर में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी.
दार्जिलिंग के मणि सिंह लामा सहित अन्य चार लामा के नेतृत्व में पाठ किया जा रहा है.
8 मई को हरकी पौड़ी पर पूजा अर्चना के पश्चात प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली बाबा विश्वनाथ मां जगदीशीला डोली यात्रा संपूर्ण उत्तराखंड के लिए रवाना होगी.
यहां पर श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्यधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल और अन्य कार्मिकों ने उनकी अगवानी की.
चारधाम यात्रा उत्तराखंड की आर्थिकी में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है.
इस वर्ष अक्षय तृतीया मंगलवार से प्रारंभ होकर 30 अप्रैल को पूरे दिन रहेगी.
केदारनाथ धाम के कपाट दो मई को प्रातः सात बजे श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे.
करोड़ों हिंदुओं की आस्था और विश्वास के प्रतीक भू-बैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया इस बार 22 अप्रैल से शुरू होगी.
बैसाखी के पावन पर्व पर मक्कूमठ स्थित मर्केटेश्वर मंदिर में पंचांग गणना के पश्चात कपाट खुलने की तिथि घोषित की गई.
इस दिन भगवान हनुमान के साथ-साथ भगवान राम और देवी सीता की भी पूजा की जाती है.
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को संकट मोचन श्री राम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था.
हर साल, द्रिक पंचांग के चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को धूम-धाम से राम नवमी मनाया जाता है.
राजधानी रांची में छठ व्रतियों ने हजारों की संख्या में अलग-अलग तालाब और नदियों एवं घरों में भगवान भास्कर की पूजा की.
झारखंड राज्य का एकमात्र सिद्ध पीठ रजरप्पा मंदिर चैती नवरात्र को लेकर सज धज कर तैयार हो गया है. बुधवार को चैती नवरात्र के चौथे दिन है मां कुष्मांडा की विधिवत पूजा हुई.
छठ को लेकर अहले सुबह से ही व्रती गंडक,बूढी गंडक समेत नदियो और पवित्र तालाब में स्नान के लिए पहुंचने लगे.
रजरप्पा मां छिन्नमस्तिका मंदिर में नवरात्रि के दूसरे दिन सोमवार को मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा हुई.
हिंदू नववर्ष 2082 विक्रम संवत चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 30 मार्च को बाबा आम्रेश्वर धाम में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बाबाधाम परिसर के मंदिरों की आकर्षक साज-सज्जा की जाएगी.