प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में 11 और 12 जनवरी को सजेगा विशेष दीवान

Shwet Patra

रांची (RANCHI): पटना साहिब में प्रकाश पर्व में शामिल होने के लिए गुरु नानक सत्संग सभा के 240 श्रद्धालुओं का जत्था 3 और 4 जनवरी को हटिया रेलवे स्टेशन से हटिया-पटना सुपरफास्ट एक्सप्रेस से पटना साहिब के लिए रवाना होगा. वहां प्रकाश पर्व के सभी आयोजनों में शामिल होने के बाद श्रद्धालुओं का जत्था 8 जनवरी को वापस रांची पहुंचेगा.


अटूट लंगर का भी आयोजन

श्रद्धालुओं के जत्थे के रांची वापस पहुंचने के बाद 11 एवं 12 जनवरी को सत्संग सभा के जरिये श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में दो दिवसीय भव्य विशेष दीवान सजाया जाएगा. बता दें कि 11 जनवरी की सुबह 8 से 10 बजे तक और रात 8 बजे से 11 बजे तक और 12 जनवरी को सुबह 10 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक विशेष दीवान सजाया जाएगा. इन सभी दीवानों में सिख पंथ के महान कीर्तनी जत्था भाई गुरमन प्रीत सिंह जी दिल्ली वाले शबद गायन कर रांची की साध संगत को निहाल करेंगे. दीवानों की समाप्ति के बाद गुरु का अटूट लंगर चलाया जाएगा.

कृष्णा नगर कॉलोनी गुरुद्वारा से 24 से शुरू होगी प्रभातफेरी

गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा की ओर से 24 दिसंबर से प्रभात फेरी की शुरुआत होगी. रोजाना सुबह 5:45 बजे प्रभातफेरी निकाली जाएगी, जो गुरुद्वारा से शुरू होकर कृष्णा नगर कॉलोनी की विभिन्न गलियों का भ्रमण कर वापस गुरुद्वारा पहुंच कर समाप्त होगी. प्रभातफेरी का समापन 31 दिसंबर को होगा. सत्संग सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने शनिवार को बताया कि नव वर्ष के आगमन की खुशी में एक जनवरी को सुबह 8 से 10 बजे तक विशेष दीवान सजाया जाएगा। श्री गुरु गोबिंद सिंह महाराज का प्रकाश पर्व छह जनवरी को मनाया जाएगा.

प्रकाश पर्व का महत्व

प्रकाश पर्व, सिख धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है और इसे गुरु नानक जयंती के नाम से भी जाना जाता है. प्रकाश पर्व का महत्व इस बात से जुड़ा हुआ है कि गुरु नानक देव जी ने समाज में अज्ञानता को दूर किया और ज्ञान का प्रकाश फैलाया. उन्होंने लोगों को सीख दी कि ईश्वर एक है और सभी के साथ प्रेम, भाईचारा, और सद्भावना रखनी चाहिए. इस दिन  गुरुद्वारों में भव्य सजावट की जाती है और गुरु का प्रसाद लंगर बांटा जाता है. गुरु नानक देव जी पर आधारित पोस्टर भी जारी किए जाते हैं. प्रभातफेरी में शामिल लोग सफ़ेद वस्त्र और केसरिया चुन्नी पहनते हैं और गुरुवाणी गाते हुए चलते हैं. शाम को दीवान सजाकर शबद कीर्तन का कार्यक्रम होता है. 

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