रांची (RANCHI): प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए मनाया जाने वाला व्रत है. इसे प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है, यह व्रत चंद्र मास में दोनों त्रयोदशी तिथियों यानी शुक्ल पक्ष त्रयोदशी और कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को मनाया जाता है. जब प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ता है, तो इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है.
शिव पूजा के लिए शुभ समय
द्रिक पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत के लिए वह दिन तय किया जाता है जब त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के दौरान पड़ती है जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है. सूर्यास्त के बाद का समय जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष काल एक दूसरे से मिलते हैं, शिव पूजा के लिए शुभ होता है.
प्रदोष व्रत मार्च तिथि और समय
मार्च में पहला प्रदोष व्रत 11 मार्च 2025 को मनाया गया था. दूसरा 27 मार्च 2025 को मनाया जाएगा जो गुरु प्रदोष व्रत होगा. त्रयोदशी तिथि 27 मार्च को सुबह 01:42 बजे शुरू होगी और 27 मार्च 2025 को रात 11:03 बजे समाप्त होगी. द्रिक पंचांग के अनुसार, प्रदोष पूजा का मुहूर्त 27 मार्च को शाम 06:51 बजे से रात 09:12 बजे तक है.
प्रदोष व्रत करने के नियम
- आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए.
- पूजा स्थल को साफ करें और मूर्तियों को भी साफ पानी से स्नान कराएं.
- इसके बाद ध्यान के साथ संकल्प करें.
- फिर दीया जलाएं और मूर्तियों को फूलों से सजाएं. साथ ही मूर्तियों को प्रसाद और मिठाई भी चढ़ाएं.
- भगवान शिव के मंदिर जाएं और भगवान को फूल, चंदन और गाय का दूध चढ़ाएं.
- भक्तों को जरूरतमंदों को कुछ दान भी करना चाहिए.
- आप प्रदोष व्रत के दिन महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप भी कर सकते हैं.