ग्रहों के दुष्‍प्रभाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है नवरात्र, जानें विशेष मंत्र

Shwet Patra

रांची (RANCHI): ज्योतिषाचार्य डा सुनील ने कहा कि सूर्य कृत पीड़ा की शान्ति के लिए शैलपुत्री की अराधना कलशस्थापन से शुरू है. चन्द्रमा कृत पीड़ा की शान्ति के लिए ब्रह्मचारिणी,मंगल कृत पीड़ा को चन्द्रघण्टा,बुध कृत पीड़ा की शान्ति के लिए कूष्माण्डा,गुरु कृत पीड़ा के लिए स्कन्दमाता,शुक्र कृत पीड़ा की शान्ति के लिए कात्यायनी, शनि के लिए कालरात्रि,राहु कृत पीड़ा की शान्ति के लिए महागौरी, तथा केतु कृत पीड़ा की शान्ति के लिए सिद्धिदात्री अर्थात् जिस ग्रह की पीड़ा, कष्ट हो उससे संबंधित मां दुर्गा के स्वरूप की पूजा विधि-विधान से करने पर अवश्य ही शान्ति प्राप्त होती है.

नवरात्रि में ब्रह्मांड के सारे ग्रह एकत्रित होकर हो जाते हैं सक्रिय 

सामान्य जीवन में ग्रहों का दुष्‍प्रभाव कम करने के लिए दुर्गा पूजा अनुष्ठान प्रवचन आवश्यक बताया. नवरात्रि पर मां के शक्ति स्‍वरूपों की पूजा की जाती ह‍ै. नवग्रहों के दुष्‍प्रभाव को कम करने के लिए भी मां की विशेष पूजा करने का प्रावधान है. जगदम्बाक नौ शक्तियों को जागृत करने के लिए मंत्र जाप करना आवश्यक बताया. मां दुर्गा की पूजा शक्ति उपासना का पर्व है और माना जाता है कि नवरात्रि में ब्रह्मांड के सारे ग्रह एकत्रित होकर सक्रिय हो जाते हैं.  कई बार इन ग्रहों का दुष्‍प्रभाव मावन जीवन पर भी पड़ता है. दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा की जाती है . मां की पूजा करने का विधि-विधान होता है और इस दौरान मां के विशेष मंत्रों का जप करने सै नवग्रह शांत होते हैं.

नवग्रह शांति के लिए विशेष दुर्गा मंत्र

नवार्ण मंत्र: 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे'. इस मंत्र के हर अक्षर का संबंध मां दुर्गा की एक शक्ति से है. इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए. इस मंत्र के पहले अक्षर 'ऐं' का संबंध मां शैलपुत्री से है.वहीं दूसरा अक्षर 'ह्रीं' का संबंध देवी ब्रह्मचारिणी से है. तीसरा अक्षर 'क्लीं' का संबंध मां चंद्रघंटा से है.

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