रांची (RANCHI): अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में रविवार देर रात आए 6.0 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई. खबर लिखे जाने तक मृतकों की संख्या 800 से अधिक हो गई, जबकि 2800 से ज्यादा लोग घायल हुए. भूकंप का केंद्र जलालाबाद से करीब 27 किलोमीटर दूर था. इसके बाद 5.2 तीव्रता के दो झटके भी महसूस किए ग़ए. सरकारी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद के अनुसार, पूर्वी अफगानिस्तान में आए भूकंप में कम से कम 812 लोग मारे गए और 2,817 घायल हो गए.
पूरी बस्तियां हुईं तबाह, बचाव कार्य में मुश्किलें
तालिबान सरकार के अनुसार, नुर्गल, सावकी, वाटपुर, मनोगी, चौके और चापा दारा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. कई गांव पूरी तरह मिट्टी में समा गए. एक वरिष्ठ तालिबान अधिकारी ने बीबीसी को बताया, “तबाही की कल्पना भी नहीं की जा सकती. हमारी प्राथमिकता मलबे से शव निकालना नहीं, बल्कि जिंदा बचे लोगों तक पहुंचना है.” भूस्खलन और लगातार बारिश ने अधिकांश सड़कों को बंद कर दिया है, जिससे बचाव दलों को हवाई मार्ग पर निर्भर रहना पड़ रहा है. अब तक लगभग 420 घायलों और मृतकों को हेलीकॉप्टर से अस्पताल पहुंचाया गया है.
मानव संकट गहराया, अंतरराष्ट्रीय मदद धीमी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान पहले से ही गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है, जहां आधी से ज्यादा आबादी को तुरंत मदद की जरूरत है. स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि अब तक किसी भी विदेशी सरकार ने सीधे तौर पर बड़ी मदद नहीं भेजी है. हालांकि, भारत ने 1,000 फैमिली टेंट काबुल भेज दिए हैं और 15 टन खाद्य सामग्री कुनार पहुंचाने की प्रक्रिया में है. साथ ही भारत ने कहा है कि मंगलवार से और अधिक राहत सामग्री भेजी जाएगी. जबकि चीन ने जरूरत के अनुसार मदद देने की घोषणा की है.
अफगान सरकार ने किया 14.6 लाख डॉलर देने का वादा
अफगान सरकार ने भूकंप से निपटने के लिए तत्काल 14.6 लाख डॉलर देने का वादा किया है. टोलोन्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जन स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता शराफत जमान ने घोषणा की है कि सरकार ने भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए तत्काल सेवाओं के लिए 10 करोड़ अफगान डॉलर (14.6 लाख डॉलर) आवंटित किए हैं. अधिकारियों ने कहा कि जरूरत पड़ने पर यह राशि बढ़ाई जा सकती है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं से भूकंप से निपटने के लिए समर्थन बढ़ाने का आह्वान किया है.
दुर्गम इलाके में खतरा बढ़ा, महामारी की आशंका
यूएन के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (यूएनओसीएचए) की अधिकारी केट कैरी ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र पिछले 48 घंटों से भारी बारिश से जूझ रहा है, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है. मोबाइल नेटवर्क ठप होने और सड़कों के टूटने से दूरदराज के गांवों तक पहुंचना बेहद मुश्किल है. राहतकर्मी पशु शवों को जल्द से जल्द हटाने में जुटे हैं ताकि पानी के स्रोत प्रदूषित न हों. प्राधिकरणों का मानना है कि जैसे-जैसे बचाव दल दूरस्थ इलाकों तक पहुंचेंगे, मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है.