जीएसटी सुधारों पर कांग्रेस हमलावर, सरकार से मांगा हिसाब

Shwet Patra

रांची (RANCHI): वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक में आठ साल पुराने ढांचे में बड़े बदलावों की केन्द्र की घोषणा के बावजूद इस फैसले से नाखुश कांग्रेस नेताओं ने आराेप लगाया है कि यह कदम बहुत देर से उठाया गया है क्याेंकि जीएसटी का मूल डिजाइन शुरू से ही त्रुटिपूर्ण था.


जीएसटी के सरलीकरण की मांग 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुरुवार को साेशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, "कांग्रेस लंबे समय से जीएसटी के सरलीकरण की मांग करती रही है लेकिन मोदी सरकार ने वन नेशन, वन टैक्स को वन नेशन, नाइन टैक्स में बदल दिया. इसमें शून्य, पांच, बारह, अठारह और अट्ठाईस फीसदी के टैक्स स्लैब रखे गए, साथ ही 0.25, 1.5, तीन और छह फीसदी की विशेष दरें भी लागू की गईं जिससे व्यवस्था और जटिल हो गई." खरगे ने कहा कि कांग्रेस ने 2019 और 2024 के अपने घोषणापत्रों में जीएसटी 2.0 की मांग की थी जिसमें तर्कसंगत दरें और सरल कर व्यवस्था शामिल थी.

छोटे कारोबारियों को भारी नुकसान होने का आरोप

उन्हाेंने आराेप लगाया कि जीएसटी के जटिल नियमों के कारण एमएसएमई और छोटे कारोबारियों को भारी नुकसान हुआ है. 28 फरवरी 2005 को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने संसद में जीएसटी की औपचारिक घोषणा की थी और 2011 में जब वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी जीएसटी विधेयक लेकर आए थे तब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसका विरोध किया था. नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने भी जीएसटी का विरोध किया था लेकिन आज उनकी ही केंद्र सरकार जीएसटी के रिकॉर्ड कलेक्शन का जश्न मना रही है.

जीएसटी का लगभग चौंसठ फीसदी गरीब और मध्यम वर्ग की जेब से आता है:खरगे 

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार ने इतिहास में पहली बार किसानों पर टैक्स लगाया. दूध-दही, आटा-अनाज, बच्चों की किताबें-पेंसिल, ऑक्सीजन, बीमा और अस्पताल खर्च जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं पर भी जीएसटी लगाया गया. इसी कारण कांग्रेस ने इसे गब्बर सिंह टैक्स का नाम दिया. जीएसटी का लगभग चौंसठ फीसदी गरीब और मध्यम वर्ग की जेब से आता है जबकि अरबपतियों से केवल तीन फीसदी वसूला जाता है. इसके साथ ही कॉर्पोरेट टैक्स की दर तीस फीसदी से घटाकर बाईस फीसदी कर दी गई. 
उन्हाेंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में आयकर वसूली में दो सौ चालीस फीसदी और जीएसटी वसूली में एक सौ सतहत्तर फीसदी की वृद्धि हुई है. खरगे ने मांग की कि राज्यों को 2024-25 को आधार वर्ष मानकर पांच वर्षों तक मुआवजा दिया जाए क्योंकि दरों में कटौती से उनके राजस्व पर असर पड़ना तय है.

सरकार पर साधा निशाना

इस बीच कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी एक्स पर इस बाबत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में ही परिषद के फैसलों की घोषणा कर दी थी जिससे जीएसटी परिषद केवल औपचारिक संस्था बनकर रह गई है. उन्होंने कहा कि जीएसटी 1.0 अपनी सीमा पर पहुंच चुका है और यह गुड एंड सिंपल टैक्स नहीं बल्कि विकास दर कम करने वाला टैक्स साबित हुआ है.

जीएसटी 2.0 का इंतजार जारी

रमेश ने कहा कि असली जीएसटी 2.0 का इंतजार जारी है. हालांकि जब तक दरों की संख्या घटाकर उन्हें तर्कसंगत नहीं बनाया जाता और एमएसएमई पर बोझ कम नहीं होता तब तक इसका वास्तविक लाभ जनता और उद्योगों तक नहीं पहुंच पाएगा.

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