पोस्टर में दलित नेता की जगह ललन सिंह की तस्वीर : जीतनराम

Shwet Patra

पटना (PATNA): जेडीयू की 'भीम संसद' को लेकर बिहार की राजनीति गरमाई हुई है.  वहीं, इसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने रविवार को कहा कि कार्यक्रम के विज्ञापन में सभी का नाम है, लेकिन रत्नेश सदा और नील का नाम है, फोटो नहीं है.  भीम राव अंबेडकर के नाम पर भीम संवाद कर रहे हैं, लेकिन फोटो नहीं है. ओबीसी, एससी के लोग ललन सिंह, अशोक चौधरी, संजय झा के फोटो से प्रभावित होंगे क्या? जिनका समाज से कोई मतलब नहीं है सिर्फ बयानबाजी करते हैं, जो मंत्री और अधिकारियों के आगे पीछे करके राजनीति चला रहे हैं.

मांझी ने कहा ,कि नीतीश कुमार थेथरलॉजी में विश्वास करते हैं

मंत्री संजय झा के द्वारा सीएम नीतीश कुमार को राजनीति में ओबीसी का सबसे विश्वसनीय चेहरा बताए जाने पर जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार थेथरलॉजी में विश्वास करते हैं और कर रहे हैं, जहां तक ओबीसी का सवाल है अभी तो जातीय गणना की गई है.  ओबीसी की जितनी आबादी है उससे कम करके दिखाया गया है इसी से माना जाएगा कि ओबीसी के लिए कितना बड़ा हितैषी है.  नाम का सिर्फ आरक्षण कोटा बढ़ा है.  आरक्षण बढ़ाने के साथ साथ कितना मिल रहा है? यही तो प्रश्न है.  चुनावी साल है लोगों को भ्रमित करने के लिए ओबीसी, एससी की बातें कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग 14 वीं वित्त आयोग में रघुराम राजन समिति की बात है सब लोगों ने कहा कि विशेष राज्य का जो कांसेप्ट है इसका कोई मतलब नहीं है. नहीं हो सकता है तो नीतीश कुमार माथा पटक रहे हैं और जनता को भ्रमित कर रहे हैं. जिस समय भारत में रेल मंत्री थे या कृषि मंत्री थे उस समय क्यों नहीं विशेष राज्य का दर्जा दिलवाए थे? जो भी विशेष पैकेज के तहत भारत सरकार से राशि मिल रही है उसका सदुपयोग कर रहे है क्या? 

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