2030 तक भारत बनेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था : उपराष्ट्रपति

Shwet Patra

जमशेदपुर ( JAMSHEDPUR) : बिस्टुपुर स्थित एक्सएलआरआई स्कूल आफ मैनेजमेंट के टाटा आडिटोरियम हॉल में रविवार प्लेटिनम जुबली समारोह का आयोजन किया गया.  जिसमें बतौर मुख्य अतिथि देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और विशिष्ट अतिथि के रूप में झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन उपस्थित रहे.  इस अवसर पर उन्होंने टाटा स्टील सीइओ सह एमडी टीवी नरेंद्रन, एक्सएलआरआइ के डायरेक्टर फादर एस जॉर्ज, डीन एडमिन फादर डोनाल्ड डिसिल्वा और डीन एकेडमिक प्रो. संजय पात्रो ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी संस्थान के लिए सफलता पूर्वक 75 साल पूरे करना बड़ी बात है. मगर किसी संस्थान के 75 साल होने के बाद भी जब उसके प्रति लोगों में सम्मान का भाव रहे तो यह वाकई में गौरवान्वित करने वाली बात है.  साथ ही उन्होंने एक्सएलआरआई को उत्कृष्टता और राष्ट्र निर्माण के 75 वर्ष पूरे करने पर बधाई देते हुए कहा कि एक्सएलआरआइ अकादमिक उत्कृष्टता, नैतिक नेतृत्व, व्यापक भलाई के प्रति प्रतिबद्धता की गहरी भावना पैदा करने के प्रतीक के रूप में खड़ा है. यह संस्थान प्रबंधन शिक्षा में हमारे देश के पहले बिजनेस स्कूल के रूप में गौरवपूर्ण स्थान रखता है. 

 नि:स्वार्थ भाव से समाज की सेवा करने के लिए तैयार

पिछले 75 वर्षों में इसने ऐसे बिजनेस लीडर तैयार किए जो न केवल सफल लीडर हैं. बल्कि दयालु इंसान भी हैं और जो नि:स्वार्थ भाव से समाज की सेवा करने के लिए तैयार हैं.  एक्सएलआरआई ने ऐसे बिजनेस लीडर को तैयार कर भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.  जो न केवल आर्थिक प्रगति करने में सक्षम हैं, बल्कि हमारे समाज के नैतिक मूल्यों और इसकी जरूरतों का पोषण करने में भी सक्षम हैं.  आगे उन्होंने कहा कि इस समय भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी है.  मगर 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगी. उन्होंने कहा कि विश्व बैंक ने भी यह माना है कि डिजिटल समावेशन के लिए भारत ने 6 वर्षों में जो हासिल किया है, उसे करने में दुनिया को आमतौर पर 47 साल लग जाते हैं.  वहीं जवाबदेह व पारदर्शी गर्वनेंस मॉडल के कारण यह संभव हो पाया है.

भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम शानदार

 उन्होंने कहा कि भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम इतना शानदार है कि इसे सिंगापुर जैसे देश ने भी अपनाया.  यूपीआई लेन-देन के मामले में भारत अकेले यूके, यूएस, जर्मनी और फ्रांस की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के डिजिटल भुगतान को पार करते हुए 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है.  इससे हमारा लेन-देन इन देशों के लेन-देन से 4 गुना अधिक होता है. हमारी प्रति व्यक्ति मोबाइल डेटा खपत एक महत्वपूर्ण संकेतक है और यह तकनीकी पहुंच को भी दशार्ता है.  इसके व्यापक उपयोग का मतलब है कि गांवों, अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों में लोगों ने इसका उपयोग करना शुरू कर दिया है.  बैंकों को सोना और अब हमारा विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 600 बिलियन है और जो एक बड़ी उपलब्धि है. आज हम चौथी औद्योगिक क्रांति की दहलीज पर खड़े हैं.

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