बाबूलाल मरांडी ने सीआईडी की गतिविधियों पर खड़े किये सवाल, मुख्यमंत्री हेमंत पर भी साधा निशाना

Shwet Patra

रांची (RANCHI): झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने अपराध जांच विभाग (सीआईडी) की गतिविधियों पर एक बार फिर से सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से हवा हवाई बातें छोड़ कर जांच एजेंसी के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की बात कही है.

भ्रष्टाचार की सभी गतिविधियों की सार्वजनिक जांच कराई जाए:बाबूलाल 


बाबूलाल ने सोशल मीडिया एक्स पर शनिवार को लिखा है कि पिछले एक साल में सीआईडी की ओर से की गई रंगदारी और भ्रष्टाचार की सभी गतिविधियों की सार्वजनिक जांच कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके. उन्होंने कहा, "हमने बार-बार आपको बताया है, चेतावनी भी दी है कि आपके प्रशासन में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं? आपका सीआईडी विभाग क्या गुल खिला रहा है? इस विषय में भी कई बार आपको अवगत करा चुके हैं.

क्या हम इतने लालची हो गए हैं कि बच्चों को भी नहीं छोड़ेंगे? - मरांडी 

बाबूलाल ने कहा कि पिछले साल गुजरात पुलिस की सूचना के बाद धनबाद के बरवाअड्डा में पुलिस ने प्रतिबंधित कफ सिरप का जखीरा जब्त किया था. यह जानते हुए भी कि इसका इस्तेमाल नशे के लिए होता है, इसे धड़ल्ले से बेचा जा रहा था. सीआईडी ने मामले को टेकओवर किया, लेकिन 14 महीने बीत जाने के बाद भी किसी आरोपित की गिरफ्तारी नहीं की. क्या हम इतने लालची हो गए हैं कि बच्चों को भी नहीं छोड़ेंगे?

हमारे बच्चों का भविष्य दांव पर लगा है:बाबूलाल 

नेता प्रतिपक्ष ने अपने पोस्ट में लिखा, "इस जानलेवा नशे को हमारी युवा पीढ़ी और बच्चों को बेचने की हिम्मत कैसे हुई? पैसों की अंधी भूख ने आपकी जबान पर जो ताला लगाया है, उसे खोलिए, क्योंकि हमारे बच्चों का भविष्य दांव पर लगा है. प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ-साथ गृह मंत्रालय का दायित्व भी आपके पास है, लेकिन एसीबी तय समय के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं कर रही है. इसी तरह भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों की जांच पड़ताल में सीआईडी की कार्यशैली संदिग्ध रही है.

पेपर लीक प्रकरण के आरोपितों को बचाने का आरोप

मरांडी ने आगे लिखा है कि चाहे पेपर लीक प्रकरण के आरोपितों को बचाना हो, नशे के कारोबारियों को संरक्षण देना हो या जमीन घोटाला करना हो, सीआईडी सदैव इन गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त पाई जाती रही है. यही वजह है कि आम जनता के साथ-साथ अब न्यायालय भी सीआईडी की कार्रवाई की विश्वसनीयता पर संदेह करता है.

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