कैंसर को रोकने में मदद करती हैं यह पांच चमतकारी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां !

Shwet Patra

रांची (RANCHI): भारतीय संस्कृति में आयुर्वेद का विशेष महत्त्व है. पौराणिक ग्रंथों में भी आयुर्वेद को खास स्थान दिया गया है. पुराने ज़माने में ऋषि मुनि इन आयुर्वेदों की सहायता से ही लोगों के रोग को हरने का काम करते थे. यही वजह है कि अभी भी लोग आयुर्वेद पर भरोसा करते है. बता दें कि आयुर्वेद में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के इलाज का भी विकल्प है. आइए जानते हैं कौन सी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां हैं जो कैंसर से बचाव में मददगार साबित होती हैं और उनके क्या फायदे हैं. 

अश्वगंधा: आयुर्वेद में अश्वगंधा का उपयोग जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है. अश्वगंधा तनाव को कम करता है. इसमें पाए जाने वाले गुण शरीर में सूजन को कम करते हैं. भले ही अश्वगंधा कैंसर के खतरे को कम करने पर कोई ठोस शोध नहीं है, लेकिन यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कोशिकाओं की वृद्धि को कम करने में मदद करता है.

आंवला: विटामिन सी से भरपूर आंवला सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. आंवले का सेवन शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है. आंवला प्रिनफ्लेमेटरी कोशिकाओं की गतिविधि को कम कर सकता है. इससे ट्यूमर या कैंसर का खतरा कम हो सकता है. आपको आंवले का सेवन जरूर करना चाहिए.

हल्दी: मसाले के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली हल्दी का उपयोग सूजन को कम करने और कई अन्य बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है. कई शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि हल्दी में ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा करने और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करते हैं.

गिलोय: गिलोय का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसके इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए किया जाता है. गिलोय का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. इसके अलावा, यह ट्यूमर के विकास को रोक सकता है और मेटास्टेसिस के जोखिम को कम कर सकता है। हालांकि, यह सीधे तौर पर कैंसर में असरदार है या नहीं, इस पर शोध चल रहा है.

लहसुन: सबसे शक्तिशाली कैंसर रोधी मसाला एलियम परिवार (प्याज, शलोट, स्कैलियन, लीक और चिव्स) का सदस्य है. लहसुन प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है, जिससे सर्दी और फ्लू जैसे संक्रमणों से लड़ने में मदद मिलती है. यह कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को भी धीमा करता है.

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