रांची (RANCHI): सीवान जिले में पिछले एक साल में करीब 6 हजार 5 सौ टीबी के नए मरीजों की पहचान की गयी है. इनमें फस्ट लाइन और एमडीआर दोनों तरह के रोगियों की संख्या शामिल है.ऐसे में जिला स्वास्थ्य विभाग टीबी उन्मूलन को लेकर सभी प्रखंडों में जांच का दायरा बढ़ा दिया है.
साढ़े छह हजार टीबी के नए मरीजों की पुष्टि
दरअसल पिछले साल जनवरी से दिसंबर तक निजी व सरकारी अस्पतालों में करीब 90 हजार लोगों के बलगम की जांच की गई थी. इसमें से साढ़े छह हजार टीबी के नए मरीजों की पुष्टि हुई. जिले में कुल इलाजरत टीबी रोगियों की संख्या इन दिनों चार हजार के करीब पहुंच गयी.
चार हजार टीबी मरीजों का उपचार जारी
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डाक्टर अशोक कुमार ने बताया कि जिले में टीबी उन्मूलन को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इस क्रम में रोगी भी मिल रहे हैं और सभी का इलाज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि नियमित रूप से एक्सरे टेक्नीशियन और लैब टेक्नीशियन की मदद से संभावित लोगों की जांच कराया जाता हैं. ताकि शत प्रतिशत लक्ष्य को पूरा किया जा सके. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिले में करीब चार हजार टीबी मरीजों का उपचार किया जा रहा है. सभी सरकारी अस्पतालों में जांच व दवा की मुफ्त व्यवस्था की गयी है.
टीबी होने का मुख्य कारण
- व्यक्ति को टीबी होने का खतरा सबसे ज्यादा तब होता है जब कोई व्यक्ति टीबी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है.
- जब कोई व्यक्ति टीबी से संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकली हवा में सांस लेता है.
- जब कोई व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के साथ बहुत समय तक रहता है या काम करता है.
- जब कोई व्यक्ति भीड़-भाड़ वाले समारोहों में शामिल होता है.
टीबी के शुरूआती लक्षण
- तीन हफ़्तों से ज़्यादा खांसी होना
- बुखार, खासकर शाम के समय
- छाती में दर्द
- वज़न कम होना
- भूख में कमी
- खांसी में खून आना
- रात में पसीना आना
- थकान महसूस होना
- सांस लेने में दिक्कत होना
इलाज
टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है. टीबी के इलाज में आइसोनियाज़िड, रिफ़ैम्पिसिन, पाइराज़िनामाइड, और एथमब्यूटोल जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. टीबी के इलाज के लिए, डॉक्टर इन दवाओं को कम से कम छह महीने तक लेने की सलाह देते हैं.