विश्व थैलेसीमिया दिवस 2025: जानें रोग का मुख्य कारण और बचाव के उपाय

Shwet Patra

रांची (RANCHI): थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसके कारण शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है. इससे एनीमिया, थकान और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. थैलेसीमिया के रोगियों का संभावित रूप से स्टेम सेल प्रत्यारोपण से इलाज किया जा सकता है, जिसमें उनके शरीर में क्षतिग्रस्त रक्त बनाने वाली कोशिकाओं को डोनर से प्राप्त स्वस्थ कोशिकाओं से बदल दिया जाता है.

थैलेसीमिया के लक्षण
  • अत्यधिक थकान
  • कमज़ोरी
  • त्वचा का पीला पड़ना
  • एनीमिया
  • सांस लेने में कठिनाई

थैलेसीमिया के रोक-थाम के उपाय

रक्त आधान एक अस्थायी समाधान है, लेकिन स्टेम सेल प्रत्यारोपण ही इसे पूरी तरह से ठीक करने का एकमात्र तरीका है. कई रोगियों के पास मैचिंग डोनर नहीं होता है, इसलिए ऐसे मामलों में मैचिंग अनरिलेटेड डोनर (MUD) की मदद से प्रत्यारोपण ही उनके बचने की एकमात्र उम्मीद है. हालांकि, लाखों में से मैचिंग डोनर ढूंढना सबसे बड़ी चुनौती है.

थैलेसीमिया का पता लगाने के लिए किए जाने वाले परीक्षण
  • पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी): लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा और गुणवत्ता को मापता है.
  • हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस: असामान्य रूपों सहित रक्त में मौजूद हीमोग्लोबिन के प्रकारों की पहचान करता है.
  • आनुवांशिक परीक्षण: थैलेसीमिया के लिए जिम्मेदार आनुवंशिक उत्परिवर्तन की पहचान करता है.
  • आयरन अध्ययन: रक्त में आयरन के स्तर को मापता है, जो थैलेसीमिया और आयरन की कमी का निदान करने में मदद करता है.
  • बोन मैरो बायोप्सी: यह परीक्षण थैलेसीमिया की गंभीरता और उपचार कब शुरू करना है, यह निर्धारित करने में मदद करता है.

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